Details as per HT Bhopal
HC Jabalpur had vacated the stay order on removal of Director K S Pandey by MHRD. Therefore, Mr R P Singh had been appointed in charge Director being senior most by BoG.
HC Jabalpur had vacated the stay order on removal of Director K S Pandey by MHRD. Therefore, Mr R P Singh had been appointed in charge Director being senior most by BoG.
Further changes at MANIT/MACT as under-
NEW DEAN -
1. Dr Gayatri Agnihotri -Administration
2. Dr P Suryanarayan -Planning & Development
3. Dr D M Deshpandey - Faculty Welfare
4. Dr. R K Dubey - Academy
5. Dr G Dixit - Research & Consultancy
6. Dr V K Khare - Student Welfare
New HOD -
1 Dr S K Dubey - Civil/Chemical/GIS
2 Dr S K Bhardwaj - Electrical Engg
3.Dr Ganga Agnihotri - Energy
4.Dr S C Shrivastwa -Electronics & Communication
5.Dr J L Rana - Science & IT
6.Dr N D Mittal - Applied Mechanics
7.Dr Geeta Agnihotri - Mechanical & Production
8.Dr K R Pardharshani - MCA & Bio Informatics
9.Dr Alka Bharat - Architecture & Planning
10. Dr Ashish Deshpande - Humanities
3 comments:
http://www.bhaskar.com/2007/10/05/0710050323_manit_shameful.html
Shocked to see such a news. I dont know what sins the parents of the culprits did that they got such children. I dont know when the souls of such people will become free of the slavery of the money.
शर्मनाक है मैनिट का ये हाल
भास्कर न्यूजFriday, October 05, 2007 03:19 [IST]
भोपाल. मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी (एमएएनआईटी) कठघरे में है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा कराई गई एक जांच ने राष्ट्रीय स्तर के इस तकनीकी शिक्षा संस्थान को शर्मनाक स्थिति में ला खड़ा किया है।
जांच रिपोर्ट में संस्थान के क्रियाकलापों पर तीखी टिप्पणियां की हैं। खासतौर से नियुक्तियों, पदोन्नतियों और निर्माण कार्र्यो के ठेकों में होती रही मनमानियों को लेकर यह जांच रिपोर्ट नीति-नियंताओं की नींद उड़ाने के लिए काफी है। रिपोर्ट के मुताबिक संस्थान में हुई नियुक्तियां भाई-भतीजावाद का निकृष्ट नमूना है।
रिपोर्ट में पिछले दो सालों में संस्थान में हुई गलत नियुक्तियों और पदोन्नतियों पर सवाल खड़े किए हैं। संस्थान के मौजूदा डीन और प्रभारी निदेशक डॉ. आशुतोष शर्मा का समूचा कार्यकाल और कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में है। जांच के दौरान दिलचस्प तथ्य यह पाया गया है कि संस्थान के करीब 50 फेकल्टी मेम्बर आपस में रिश्तेदार हैं। बुच ने एक जगह व्यथित होकर लिखा है-‘ऑल इज नॉट वेल विथ द स्टेट ऑफ डेनमार्क..।’
रिपोर्ट का खुलासा, कई नियुक्तियां अवैध
डॉ. आशुतोष शर्मा की पदोन्नतियां नियमों के विपरीत हैं। उनकी पीएचडी मनोविज्ञान में अनुशासन विषय पर है और इसका आर्किटेक्चर व प्लानिंग में पीएचडी से दूर-दूर का नाता नहीं है। वे प्रोफेसर के रूप में पदोन्नत होने की न्यूनतम योग्यता नहीं रखते। इसलिए उनकी 19 अप्रैल 2000 से प्रोफेसर के रूप मे हुई पदोन्नति अवैध है। उन्हें अब तक हुए सारे भुगतानों की वसूली की जाए।
इसके अलावा लेक्चरर के रूप में नियुक्ति के बाद के भुगतान भी वसूले जाएं। उनकी असिस्टेंट प्रोफेसर व प्रोफेसर के रूप पदोन्नतियां अवैध हैं। इस अवैध पदोन्नतियों के बारे में प्राचार्य या निदेशक, चेयरमैन और तत्कालीन चयन समिति के सदस्यों से भी पूछा जाए।
रिपोर्ट में उद्योग प्रतिनिधि के रूप में अरविंद चोपड़ा, नीमच और तकनीकी शिक्षा संस्थान, भोपाल के प्रमुख के रूप में डॉ. महेंद्रसिंह चौहान की नियुक्तियों को अवैध बताते हुए इसके लिए तत्कालीन चेयरमैन व पूर्व विधायक एसके झालानीको जिम्मेदार माना है।
अयोग्य को पद..
-आशुतोष शर्मा के भाई अभय शर्मा को 14 जुलाई 2005 को सिविल इंजीनियरिंग विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर बनाया गया। वे बीई और एमटेक की अपनी शैक्षणिक योग्यता के अनुसार लेक्चरर पद के योग्य थे। लेकिन उन्होंने लोकनिर्माण विभाग में सब इंजीनियर के रूप में कार्य के अनुभव के आधार पर असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए आवेदन किया और बना दिए गए।
जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि लोनिवि कोई उद्योग नहीं है, इसलिए वहां का अनुभव उद्योग का अनुभव नहीं माना जा सकता, जो कि पीएचडी के समकक्ष हो। इसके लिए उन्हें छह साल का लेक्चरर का अनुभव होना चाहिए था। इसका पे-स्केल सब इंजीनियर से कहीं ज्यादा है। अभय शर्मा किसी प्रकार इस पद के योग्य नहीं हैं। उनका नियुक्ति पत्र नियम-विरूद्घ अवैध है।
इस नियुक्ति के लिए जिम्मेदार निदेशक, फेकल्टी मेम्बर और चेयरमैन पर भी कार्रवाई की जानी चाहिए। संस्थान के सम्मान की रक्षा के लिए इस नियुक्ति को निरस्त किया जाना चाहिए और जिनकी मिलीभगत से यह हुआ, उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए।
नियमों का उल्लंघन..
-डॉ. अरूणा सक्सेना किसी भी आधार पर प्रोफेसर के योग्य नहीं थीं। लेकिन संस्थान सारे नियम-कायदों का उल्लंघन करते हुए उनको पदोन्नत करने पर आमादा था। यह धूर्तता का एक नमूना है। इससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए। यही नहीं उन्हें संस्थान में मुफ्त आवास, मोबाइल व घर पर फोन की सुविधाएं भी मनमाने ढंग से दी र्गई।
जबकि नियम में किसी भी टीचर को बिना किराए के मकान की सुविधा का प्रावधान नहीं हैं। जांच समिति ने अर्चना सक्सेना की पदोन्नति नियमों का खुला उल्लंघन है। यह आदेश निरस्त किए जाएं और अर्चना सक्सेना को पदावनत करके सीनियर लेक्चरर बनाया जाए, मुफ्त आवास और अन्य सुविधाएं वापस ली जाएं और उनके अपात्र होने के बावजूद दी गई इन सुविधाओं के भुगतानों की वसूली की जाए। इस षड़यंत्र में शामिल जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।
नियम ताक पर
रिपोर्ट में संस्थान के प्रभारी निदेशक व डीन डॉ आशुतोष शर्मा की पदोन्नति को अवैध माना गया है। अब तक हुए भुगतानों की वसूली की सिफारिशआशुतोष शर्मा के भाई अजय शर्मा असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति को रद्द करने की सिफारिश
At last MANIT got rid of K.S.Pandey & Saxena family
MANIT Bhopal is flourishing again after a long time. We would like to congratulate to new commander of MANIT to SAVE MANIT.
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