Wednesday, October 10, 2007

अपने कॉलेज(एम् ऐ सी टी) को बर्बादी से बचाएँ

जय हिंद,आप सभी ने शायद सुना हो या हो सकता है अपने व्यस्त जीवन मे आप भूल गए हो कि जिस कॉलेज मे आपने अपने जीवन के ४ महत्वपूर्ण वर्ष व्यतीत किए हैं उस कॉलेज को दीमक की तरह खा रहा है उसी कॉलेज का एक भूतपूर्व छात्र ये व्यक्ति आप मे से किसी का मित्र होगा तो किसी का बॉस लेकिन मानवता ये नही कहती की मित्र के ग़लत काम को प्रोत्साहन दिया जाए आपकी चुप्पी एक राष्ट्रीय संस्थान ( जो कि सबसे पहले आपका अपना गुरुकुल है ) उसे गर्त मे धकेल रही है कॉलेज के कुछ गद्दार शिक्षकों से मिलकर बंदूक की नोंक पर पूरे कॉलेज पर अपना राज्य चलाने वाला यह व्यक्ति कॉलेज को दीमक की तरह खा रहा है २०-२५ लाख नहीं ,सरकार के करोड़ों रुपये जो हमारे दिए हुए टैक्स का एक हिस्सा है यह व्यक्ति पचा रहा है ओर इसे रोकने की ज़िम्मेदारी सरकार की होनी चाहिए लेकिन शायद सरकार को इस बात का एहसास नही है या फ़िर हो सकता है कुछ सरकारी नुमाइंदे भी इनका सहयोग कर रहे हों यदि लवित रावतानी जैसे किसी प्रोफेसर ने कुछ विरोध किया तो उनकी बोलती बंद करके उन्हें पागल करार देकर कॉलेज से निकाल दिया गया मेकेनिकल विभाग के एक प्रोफेसर ने इस स्तिथी से व्यथित होकर डिप्रेशन का शिकार होकर ख़ुदकुशी करने का प्रयास किया लेकिन कॉलेज प्रशासन जो कि बंदूक कि नोंक पर चल रहा है उसे कोई असर नही पड़ा इसलिए हम छात्रों की इस कॉलेज के प्रति अब ये जिम्मेदारी बनती है कि हमसे जो बन सकता है करें और इस दीमक को अपने कॉलेज को खोखला करने से बचाएं हम लोग अगर अपनी दादागिरी दिखाने के लिए प्रदर्शन कर सकते हैं तो छात्रों मे एकता होने से हम अपनी आवाज़ को मध्य प्रदेश सरकार ही नही अपितु दिल्ली तक ले जा सकते हैं ज़रूरत है छात्रों के जागरूक होने की कॉलेज मे पड़ रहे सभी छात्रों से अनुरोध है कि अपने को एकजुट करके इस दादागिरी का विरोध करें और भूतपूर्व छात्र जो आज किसी बड़े ओहदे पर पहुँच गए हैं वो कॉलेज के छात्रों का समर्थन करें अपने कॉलेज को असामाजिक तत्वों के हाथों से बचाएँ कुछ छात्र जो कॉलेज के डॉन कहलाते हैं और ऐसे असामाजिक तत्वों की मदद करते हैं उन छात्रों से मेरा विनम्र अनुरोध है की थोड़े से पैसों के लालच मे अपने ज़मीर को ना बेचें अपितु कॉलेज मे हो रहे गोरख धंधों का विरोध करें क्यूंकि कॉलेज से निकलने के बाद आपकी दादागिरी आपके किसी काम नही आएगी

1 comment:

Anonymous said...

I fully agree with you, now only students can do for next generation....as most of the internal staff is either involved in the crime in one way or other way (due to their weasted interest), newly recruited faulty memebers GUNDAGARDI par utar aaye he....aur baki dare hue he....
MANIT me GUNDARAJ chal raha he....